Monday, March 23, 2009

ये सुबह क्यों आती है ?


रात आती है उसकी सौगाद लाती है
फ़िर से दिल सीने में धड़कने लगता है
और फज्र होते-होते वो चुपके से मुस्कुराकर चली जाती है
ज़िन्दगी फ़िर से मेरी बस वही थम से जाती है

3 comments:

  1. अपने जज्बात को लफ्ज़ों का जामा पहनाकर पेश करने की अच्छी कोशिश है
    मेरा मश्वरा है, इन्हे फन का लिबास भी पहना देना चाहिये
    शाहिद मिर्ज़ा शाहिद

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  2. Me Tujh se kuch nahi maangta khuda..
    Teri De ke Chhin lene ki aadat mujhe pasand nahi..

    For More Shayari.. Rahat Indori shayari

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