Monday, March 2, 2009

बंद आँखों में खवाब सजे, खुली में उसकी सूरत
खुली से देखने लगे ख्वाब, तो फ़िर कहा जाए सूरत

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बंद आँखों में खवाब सजे, खुली में उसकी सूरत
न खुलने के लिए जो बंद हुई, उसमे न ख्वाब न सूरत

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