Monday, March 23, 2009

ये सुबह क्यों आती है ?


रात आती है उसकी सौगाद लाती है
फ़िर से दिल सीने में धड़कने लगता है
और फज्र होते-होते वो चुपके से मुस्कुराकर चली जाती है
ज़िन्दगी फ़िर से मेरी बस वही थम से जाती है

Saturday, March 21, 2009

जीवन की सच्चाई !!

ये लाजिम तो नही की हर बात तुझे बताई जाए
कभी चाह कर भी कोई बात तुझसे छिपाई जाए
उस अंदाज़--बयां का क्या फायदा जो गम दे
झूठ ना सही पर सच्चाई भी तो छिपाई जाए

Sunday, March 15, 2009

अब ??


नही दिया जिसने तावाजुफ्फ़ तेरी दोस्ती का,
वो क्या साथ निभाएगा अब तेरा
गम न करो उसके जाने का,
खुशी मनाओ की हुआ फ़िर सवेरा ....

ज़िन्दगी उसके बिन भी थी पहले और अब बिन उसके भी रहेगी अब
पर न वो बात रहेगी न वो अब उसकी कोई सौगात रहेगी अब
वो हमें भूल गए गए तो हम भी उन्हें भूल सकते है अब
बस उसकी दी चोट कसक बन साथ रहेगी अब

Wednesday, March 11, 2009

न रूठो ......

जो भी था कह दिया,

अब कुछ नही बाकी है

तुम्हे रुसवा किया तो,

हमारी भी जान बची अब आधी है

लौट आओ अब........

सीने में दफ़न याद तेरी,

सौदा करती है रोज़ मुझसे

आएगा वो ठहर ज़रा,

जी ले कुछ और रोज़ उसके लिए

Tuesday, March 10, 2009



डूबते हुए सूरज रोशनी मध्यम कर गया,
की ज़िन्दगी में कुछ कहने को बाकी क्या रह गया

यादों को वक्त धुंधला कर गया,
उसने जो दर्द दिया बस वो रह गया

धोखा था नज़रो में जाना न गया
वो दूर जाते रहे और मै अकेला रह गया


ये सड़क न इतनी गुमनाम होगी,
तेरे बगैर भी हर शाम होगी

यादो के सहारे ही बीतेगी ज़िन्दगी,
पर उसमे न तेरी याद होगी

धोखा था नज़रो में जान गया,
अब इसी धोखे पर ज़िन्दगी आबाद होगी

Tuesday, March 3, 2009

पहचानता नही आईना अपने अक्स को,
ढ़ूढ़्ता यहाँ हर शक्स अपने शक्स को,
हैंरान बड़ा देख अपनी शक्ल को,
अंजान नज़रों से जोड़ा क्यों अक्ल को

Monday, March 2, 2009

बंद आँखों में खवाब सजे, खुली में उसकी सूरत
खुली से देखने लगे ख्वाब, तो फ़िर कहा जाए सूरत

..................................................

बंद आँखों में खवाब सजे, खुली में उसकी सूरत
न खुलने के लिए जो बंद हुई, उसमे न ख्वाब न सूरत